परीक्षा का आधार बदलना टेढ़ी खीर
सहारनपुर : टीइटी से प्राथमिक स्कूलों में नियुक्ति का आधार बदलने या उसे रद करने की कोशिश सरकार को भारी पड़ेगी। बसपा सरकार ने टीइटी के पात्रता परीक्षा के आधार को बदलकर मेरिट की श्रेणी में शामिल किया था। अब सपा सरकार परीक्षा के आधार को दोबारा पात्रता परीक्षा करने की कसरत में जुटी है। पूरे मामले में कानूनी राय अहम होगी और इसे नजरअंदाज करना सरकार के गले की फांस बन सकता है। इन दिनों टीइटी से प्राथमिक शिक्षकों की भर्त्ती पर परीक्षा में उत्तीर्ण रहे 2.70 लाख अभ्यर्थियों की निगाहें लगी हैं। स्कूलों में नियुक्ति मिलेगी या फिर कानूनी जंग लड़नी होगी? मामले को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ज्ञापन भेजने व विभिन्न जिलों में धरना-प्रदर्शन का क्रम जारी है। प्रदेश सरकार भी टीइटी को लेकर खासी चुस्त नजर आ रही है। मामले में पहले गठित बेसिक शिक्षा विभाग की एक कमेटी ने टीइटी को रद करने की सिफारिश की थी। बाद में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा टीइटी को रद्द न करने की बात कही थी। कमेटी ने मेरिट के आधार को बदलकर टीइटी को केवल पात्रता परीक्षा बनाने पर सहमति दी है। हालांकि इस बारे में अभी कोई अंतिम निर्णय नही हुआ है। जाल का नहीं कोई तोड़बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि टीइटी परीक्षा की गाइडलाइन का कोई तोड़ नहीं है। उनका दावा है कि बसपा सरकार ने टीइटी को पात्रता की श्रेणी से हटाकर मेरिट के आधार में बदलने का जो निर्णय लिया था वह मंत्रिमंडल का सामूहिक निर्णय था। उनका तर्क है कि एक मामले में पूर्व में हुआ निर्णय इसमें भी मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसके मुताबिक परीक्षा से एक दिन पूर्व तक ही सरकार परीक्षा/नियुक्ति को बनाए नियमों में बदलाव कर सकती है। बाद में किसी भी प्रकार का बदलाव नियुक्ति के आधार के संबंध में नहीं किया जा सकता। टीइटी प्रक्रिया में कानूनी जंग से बचने के लिए प्रदेश सरकार के लिए कानूनी राय अहम होगी। शिक्षा-मित्रों का 6 को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शनबेहट : संयुक्त शिक्षा-